राजगढ़। जिले का सबसे कम उम्र का साहित्यकार जिसने महज 14 वर्ष की उम्र में 10 वीं कक्षा में रहते हुए पहला कविसम्मेलन पिपलिया रसोड़ा गांव में पढ़ा, 2014 में शुरू हुई साहित्य की पारी में राजगढ़ के छोटे से शहर पचोर से दो वर्ष मुंबई , एक वर्ष इंदौर में रहने के बाद अब नोयडा में रहकर देश विदेश में साहित्यिक क्षेत्र के साथ अपने हास्य की विधा से देश विदेश में झंडे गाड़कर राजगढ़ का नाम रोशनकर कर रहा है।
जी हां हम बात कर रहे हैं जिले के छोटे से शहर पचोर के हास्य कवि चेतन चर्चित की, मुफ़लिसों में पला चेतन एक दिन राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच जाएगा शायद ही जिले में किसी ने सोचा हो। वर्ष 2014 में महज 14 वर्ष की उम्र में पहला कविसम्मेलन पढ़ने के बाद माखनलाल यूनिवर्सिटी में नवांकुर काव्यगोष्ठी में सम्मिलित होकर दूसरा कविसम्मेलन वृंदावन के मंच पर पढा और इसके बाद गाजियाबाद, उड़ीसा के अंगुल, राजस्थान के भीलवाड़ा, महाराष्ट्र के पुणे होता हुआ यह छोटे कद का बड़ा कवि इन पांच वर्षों में देश के 22 राज्यों में अपनी सफलता के परचम लहरा चुका है। देश के ख्यातिनाम कविसम्मेलन चाहे लखनऊ का चकल्लस हो या उज्जैन मेले का कालिदास समारोह, कोटा का दशहरा हो या दिल्ली के लालकिले की प्राचीर, झारखंड का चाईबासा जमशेदपुर हो या हरियाणा का रेवाड़ी,नीमच और भीलवाड़ा की गलियों से लेकर दर्जनों टीवी चैनलों सहित इस छोटे कवि ने विशाखापट्टनम से लेकर सूरत के समुद्री तट तक बड़े बड़े मंचो पर पचोर शहर और विजयवर्गीय समाज के साथ मारवाड़ी वैश्य समाज का नाम रोशन किया ।
पिछले दिनों उनका जिले में आना हुआ और हमारे संवाददाता ने उनसे चर्चा की ।
आइए जानतें है चेतन चर्चित विजयवर्गीय से बातचीत के कुछ अंश
पहली बार कविसम्मेलन में भागीदारी और अब में क्या अंतर महसूस करते हैं आप?
चेतन चर्चित: मुझे नही पता था कि कविसम्मेलन और साहित्य क्या होता है, में तो बस यूं ही स्कूल में नाट्य रचनाएं एवं स्टेंडिंग कॉमेडी किया करता था एक दिन पापा के कवि मित्रों के साथ कविसम्मेलन में जाने का मौका मिला तो एक घँटे तक मंच से प्रस्तुत की गई मिमक्री से दर्शक लोटपोट होते रहे और मुझे 100 रुपए भी मिले, बस चल निकला यहीं से काव्य रचनाओं के सफर पर।
आप सिर्फ कॉमेडी ही सुनाते हैं या अन्य रचनाएं भी?
चेतन चर्चित: जी ऐसा नही है, कॉमेडी हास्य मेरी विधा है इसलिए जिसके लिए बुलाया जाता हूँ वही सुनाता हूँ, वर्तमान तक मेरी 200 से अधिक साहित्यिक, समसामयिक , सामाजिक बुराइयों को लेकर व्यंग्यात्मक, देशप्रेम से ओतप्रोत रचनाएं भी है, जिन्हें अवसर के अनुसार पढ़ता हूँ।
आप पचोर से निकल कर मुंबई चले गए फिर इंदौर और अब नोयडा क्यों?
चेतन चर्चित: दरअसल स्टेंडिंग कॉमेडी का मुझे शोक था , समय की मांग भी थी , तो उस समय मुझे मुंबई में भाग्य आजमाने का अवसर मिला मुंबई पहुंच गया। लेकिन मुंबई मायानगरी है, मुझे शांत स्थान पसंद है इसलिए इंदौर रहने लगा लेकिन हर दो चार दिन में दिल्ली या आसपास जाना ही पड़ता है, साथ ही दिल्ली और लखनऊ तहजीब के शहर हैं में लखनऊ भी रहा हूँ लेकिन मुझे दिल्ली रास आ गया इसलिए अब दिल्ली ही रहने का मन बना लिया और दो वर्षों से यही डेरा जमा लिया।
कभी किसी कविसम्मेलन में नर्वस भी हुए या मन मे आशंका हुई हो कि कहीं हूट न हो जाऊं?
चेतन चर्चित: जी नहीं व्यक्ति का कांफिडेंस लेवल हो तो ऐसी समस्या नही आती है। मेरे पहले पढ़े गए कवियों की रचनाओं के दौरान कई बार मंचों से ऐसा लगा कि कवि सम्मेलन अस्थिर हो रहा है, लेकिन उन कविसम्मेलनों में भी हमने जमकर तालियां बटोरी।
आप टीवी चैनलों में और कविसम्मेलनों में क्या फर्क महसूस करते हैं?
चेतन चर्चित: टीवी चैनलों में रोज का आना जाना है लेकिन वहां समसामयिक मुद्दे होते हैं। समय की मांग के अनुसार रचनाएं तुरंत तैयार की जाती है। जबकि कविसम्मेलनों में दर्शकों की मांग का ध्यान रखना पड़ता है। कई बार तो मंच से ही तुरन्त समसामयिक या स्थानीय मुद्दों पर रचनाएं तैयार कर सुनाना होती है।